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Current Affairs 03 September 2017 in Hindi

03 September 2017

1.कालेधन पर स्विट्जरलैंड भारत के साथ : डोरिस
• स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति डोरिस लियुथार्ड ने कहा है कि उनका देश कालेधन के खिलाफ भारत की लड़ाई में सूचना के आदान प्रदान के जरिए सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 70 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में समारोहों की शुरुआत करते हुए बीती रात यहां स्विस दूतावास में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह बात कही।
• डोरिस ने कहा, भारत एक अच्छा मित्र है। इन सात दशकों में हमने एक दूसरे को सुना, सलाह दी और एक दूसरे से सीखा। यही वह आधार है, जिन पर आज संबंध कायम हैं। उन्होंने कहा, और स्विट्जरलैंड संबंधित सूचना के आदान प्रदान से कालेधन के खिलाफ लड़ाई में भारत का सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस वर्ष हम अपनी संसद में इसकी मंजूरी मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
• अपनी चार दिवसीय भारत यात्रा के दौरान स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति ने काले धन से मुकाबले और कई क्षेत्रों में सहयोग समेत विभिन्न मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।70 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में समारोह वर्ष 2018 तक आयोजित होंगे।
•  अपनी यात्रा के अंतिम चरण में दूतावास में उद्घाटन कार्यक्म के तहत डोरिस ने दोनों देशों के कई मैत्री दूतों को सम्मानित किया, जिनमें जाने माने अर्थशास्त्री एमएस स्वामीनाथन भी शामिल थे।
• उन्होंने दोनों देशों के कारोबारी संबंधों पर भी जोर देते हुए कहा, 250 से अधिक स्विस कंपनियां भारत में संचालित हो रही हैं जबकि 140 भारतीय कंपनियां स्विट्जरलैंड में मौजूद हैं। उन्होंने कहा, हमारा कारोबार बढ़ रहा है। रेलवे, पर्यटन, डिजाइन और फिल्म जैसे ऐसे कई क्षेत्र हैं जिन पर हम अधिक सहयोग तथा साथ काम कर सकते हैं।
• स्विट्लरलैंड की राष्ट्रपति ने कहा, इस मित्रता के लिए मैं आपका (भारत का) शुक्रिया अदा करती हूं। स्विट्जरलैंड में अवसरों एवं इसकी संस्कृति तथा दोनों देशों की 70 साल की यात्रा पर दो लघु फिल्में भी इस अवसर पर दिखाई गई।
• दूतावास के विशाल उद्यानों में  आयोजित कार्यक्रम में कई देशों से राजदूत, कारोबार, कला एवं अन्य क्षेत्रों से प्रतिनिधि शामिल हुए थे।

2. ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आज से : मोदी समेत ब्रिक्स देशों के जुटेंगे बड़े नेता

• भारत और चीन के बीच 73 दिनों तक चले डोकलाम गतिरोध के खत्म होने के कुछ दिन बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रविवार को यहां पहुचेंगे, जहां उनके चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने की संभावना है।
• चीन के दक्षिण-पूर्वी फुजियान प्रांत के शहर शियामेन में तीन दिवसीय ब्रिक्स सम्मेलन रविवार से शुरू होगा। हालांकि, मावर तूफान के तटीय क्षेत्र में दस्तक देने की संभावना के मद्देनजर अधिकारियों ने हाई अलर्ट की घोषणा की है। डोकलाम से 28 अगस्त को नई दिल्ली और पेइचिंग के अपने-अपने सैनिकों को हटाने का फैसला करने के बाद यह सम्मेलन पहला मौका होगा, जब ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेता मिलेंगे।
• इस बात की संभावना है कि यह गतिरोध पर र्चचा के लिए मोदी और शी को आमने सामने बैठने का एक मौका देगा। यह गतिरोध 16 जून को शुरू हुआ था। दरअसल, चीनी सैनिकों ने इलाके में एक सड़क बनाने की कोशिश शुरू की, जिससे भारत को यह आशंका हुई कि इससे पूर्वोत्तर राज्यों से पेइचिंग उसका संपर्क काट सकता है।भारत और चीन ने सम्मेलन के दौरान मोदी-शी की बैठक होने से इनकार नहीं किया है।
• भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ऐसे बहुपक्षीय मौकों पर द्विपक्षीय बैठकें होना एक सामान्य व्यवहार है। वहीं, चीनी मंत्रालय ने कहा है कि यदि समय ने इजाजत दी तो वह ऐसी व्यवस्था करेगा। सम्मेलन से पहले चीन ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान के आतंकवाद रोधी रिकार्ड का मुद्दा उठाने के लिए ब्रिक्स एक उचित मंच नहीं है।
• पिछले साल भारत में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में मोदी ने पाकिस्तान को दुनियाभर के आतंकवाद की जननी कहा था और आतंकी संगठनों के खिलाफ निर्णायक वैश्विक  कार्रवाई की मांग की थी। सम्मेलन में अगले 10 साल के लिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स की भविष्य की रणनीति पर भी र्चचा होने की उम्मीद है। ब्रिक्स का गठन 2006 में हुआ था।
• ब्रिक्स राष्ट्र विश्व अर्थव्यवस्था और वैश्विक शासन में काफी मायने रखते हैं। यह पांचों देश 2016 की नियंतण्र अर्थव्यस्था में कुल 23 फीसदी योगदान देते हैं।

3. आरबीआइ ने किया आगाह, कृषि कर्ज माफी से बचें राज्य
• राज्यों के चुनावी माहौल में कृषि कर्ज माफी का मुद्दा हावी होने लगा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर देश के राजनीतिक दलों को परोक्ष तौर पर आगाह किया है कि उन्हें कृषि कर्ज माफी से पूरी तरह से परहेज करना चाहिए। केंद्रीय बैंक स्पष्ट तौर पर मानता है कि कृषि कर्ज माफी से न तो किसानों का भला होता है और न ही बैंकों का।
• उल्टा यह देश की अर्थव्यवस्था में कई तरह के रोड़े डाल देता है। हाल के दिनों में यह दूसरा अवसर है जब रिजर्व बैंक ने किसानों के लिए कर्ज माफी की घोषणाओं को लेकर राज्य सरकारों को आगाह किया है। अपनी सालाना रिपोर्ट में आरबीआइ ने वर्ष 2008 की कृषि कर्ज माफी की सफलता को लेकर भी सवाल उठा दिए हैं। इसमें कहा गया है कि इसका फायदा सिर्फ उन राज्यों में हुआ जहां भूमि सुधार लागू हुए थे।
• यही नहीं इसकी वजह से बाद में बैंक कृषि क्षेत्र को कर्ज देने से आनाकानी करने लगते हैं। इसका असर यह होता है कि किसान एक बार फिर सूदखोरों से कर्ज लेना शुरू कर देते हैं और कर्ज के दुष्चक्र में ज्यादा मजबूती से फंस जाते हैं।
• इस तरह से कर्ज माफी अंतत: कृषि क्षेत्र में संगठित क्षेत्र से कर्ज के प्रवाह को प्रभावित करता है। इसके अलावा इसका राज्य व देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर तो होता ही है। राज्यों के उधारी लेने की क्षमता प्रभावित होती है जिससे सारे विकास कार्यो पर असर पड़ता है।
•  इस चेतावनी के दो दिनों बाद ही कृषि कर्ज माफी पर एक सेमिनार में गवर्नर उर्जित पटेल ने आरबीआइ के रुख को और खुले तौर पर स्पष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर कृषि ऋण माफी राज्यों के बजट से भी होती है तब भी इसके विपरीत असर को कम नहीं किया जा सकता क्योंकि सरकार को दूसरे खर्चे में कटौती करके इसे करना पड़ता है।
• इसका कोल्ड स्टोरेज, सिंचाई परियोजनाओं पर होने वाले खर्च पर असर पड़ सकता है। राज्यों व केंद्र के बजट पर असर पड़ने से महंगाई बढ़ सकती है। आरबीआइ गवर्नर ने यह भी माना कि यह आय कर का भुगतान करने वाले लोगों के साथ भी न्याय नहीं है। अब जबकि उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, महाराष्ट्र में कृषि कर्ज माफी की घोषणा हो चुकी है और देश के दूसरे कई राज्यों में इसकी मांग जारी है तो केंद्रीय बैंक का नया रुख महत्वपूर्ण हो जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 36 हजार करोड़ रुपये के कृषि कर्ज माफ किये हैं तो कर्नाटक सरकार ने भी 8100 करोड़ रुपये की कर्ज माफी की घोषणा की है।
• आर्थिक विशेषज्ञ भी इससे सहमति जताते रहे हैं कि कर्ज माफी के पैकेज न तो किसानों का भला करते हैं और न ही अर्थव्यवस्था का। कर्ज माफी जैसे कदम कुल मिलाकर उन लोगों को ही नुकसान पहुंचाते हैं जिनके लिए इस तरह के फैसले लिए जाते हैं।

4. रोहिंग्या  शरणार्थियों का पेंच फंसेगा मोदी की यात्रा में
• ऐसे समय जब देश में रो¨हग्या मुसलमान शरणार्थियों का मामला राजनीतिक रूप ले चुका है और इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हो रही है तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की म्यांमार यात्रा  भारतीय कूटनीति के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो गई है।
• विदेश मंत्रलय के अधिकारी मानते हैं कि म्यांमार का रणनीतिक महत्व हाल के वर्षो में काफी बढ़ गया है इसलिए रोहिंग्या  मामले पर काफी सोच-समझ कर कदम बढ़ाने होंगे। वैसे भारत इस पूरे मामले का स्थायी समाधान चाहता है और यही वजह है कि मोदी की तरफ से इस बारे में पड़ोसी देश को अलग से मदद करने की पेशकश की जा सकती है।
• विदेश मंत्रलय के अधिकारियों के मुताबिक म्यांमार में बार-बार रो¨हग्या मुसलमानों के साथ जो मुद्दे उठ रहे हैं उससे भारत का हित जुड़ा हुआ है। इसलिए वह इस मुद्दे को सिर्फ शरणार्थियों तक जोड़ कर नहीं देख सकता है।
• जब भी म्यांमार में सांप्रदायिक ¨हसा होती है तो बड़ी संख्या में भारत में शरणार्थियों की फौज चली आती है। यह स्थिति हमेशा के लिए जारी नहीं रखी जा सकती। ऐसे में यह हमारे हित में है कि मौजूदा हालात का स्थाई समाधान खोजा जाए।
• भारत में रह रहे रोहिंग्या  शरणार्थियों को वहां भेजना तभी संभव होगा जब म्यांमार में शांति हो। वैसे इस हालात का समाधान म्यांमार की सरकार को खोजना है लेकिन भारत इसमें जो भी संभव है वह मदद करने का प्रस्ताव करेगा।
• सुरक्षा एजेंसियों ने पहले भी इस बात की सूचना दी है कि भारत के कई हिस्सों में रह रहे रो¨हग्या शरणार्थियों के बीच कट्टरपंथी तत्व पैठ कर रहे हैं। जम्मू व कश्मीर के इलाके में हजारों की संख्या में ये रह रहे हैं। भारत में पिछले कुछ वर्षो में धीरे-धीरे 60 हजार रोहिंग्या  आ चुके हैं। सरकार ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि वह हर एक शरणार्थी को वापस भेजना चाहती है।

5. जस्टर होंगे भारत में अमेरिका के नए राजदूत

• भारत में जल्द ही नए अमेरिकी राजदूत की कर दी जाएगी। व्हाइट हाउस की ओर से बताया गया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के नए राजदूत के रूप में केनेथ जस्टर को नामांकित करेंगे। 1सीनेट से मंजूरी मिलने के बाद उनकी को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
• रिचर्ड वर्मा के गत 20 जनवरी को इस्तीफा देने के बाद से ही भारत में अमेरिकी राजदूत का पद रिक्त है। भारत मामलों के विशेषज्ञ जस्टर फिलहाल राष्ट्रपति ट्रंप की राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के उपनिदेशक हैं। साथ ही आर्थिक मामलों पर ट्रंप को सलाह देनेवाली संस्था इंटरनेशनल इकोनोमिक अफेयर में उपसहायक के तौर पर कार्यरत हैं।
• जस्टर 2001 से 2005 तक अमेरिका के उप वाणिज्य मंत्री भी रह चुके हैं। 1इस अवधि में उन्होंने भारत और अमेरिका के संबंधों को नई ऊंचाई दी थी। इसी समय दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु करार हुआ था। इसके अतिरिक्त जस्टर 1992-93 तक विदेश मंत्रालय  में सलाहकार और 1989-92 तक उपविदेश मंत्री के परामर्शदाता के तौर पर रहे।
• हार्वर्ड लॉ स्कूल से कानून की डिग्री लेने वाले जस्टर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वेदरहेड सेंटर फॉर इंटरनेशनल अफेयर्स के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

6. संयुक्त राष्ट्र में सुधार के एजेंडे को आगे बढ़ाएंगे ट्रंप
• अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में सुधारों के मद्देनजर इस महीने दुनियाभर के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। ट्रंप ने इससे पहले यूएन को अच्छा समय बिताने के लिए लोगों का ‘क्लब’ करार दिया था।
• साथ ही यह कहा था कि फिलहाल यूएन का काम अपेक्षाकृत कमजोर है, लेकिन इसके पास दुनिया के संकटों से निपटने की अद्भुत क्षमता है। संयुक्त राष्ट्र की बैठक में पहली बार शामिल होने जा रहे ट्रंप छह दिवसीय बहस के पहले दिन 19 सितंबर को जनरल एसेंबली को संबोधित करेंगे।
• उनके संबोधन में ‘अमेरिका फर्स्ट ’ नीति की झलक मिल सकती है। मालूम हो कि ट्रंप प्रशासन ने यूएन को दी जा रही अरबों रुपये की वित्तीय सहायता कम करने की धमकी दे रखी है। संयुक्त राष्ट्र के खर्च का 28.5 प्रतिशत अकेले अमेरिका वहन करता है।
• वहीं शांति अभियानों के लिए दी जाने वाली राशि में भी लगभग 38 अरब की कटौती कर दी है। यूएन के सुधार संबंधी एजेंडे को भारत, चीन, जापान, थाईलैंड कुल 14 देशों का समर्थन है।

7. एसएएपीई की रिपोर्ट-दक्षिण एशियाई देश गरीबी उन्मूलन में रहे असफल

• दक्षिण एशियाई देश गरीबी उन्मूलन में असफल रहे हैं। यह रहस्योद्घाटन दक्षिण एशियाई देशों में गरीबी के परिदृश्य की त्रैवार्षिक रिपोर्ट में हुआ है। यहां रिपोर्ट साउथ एशिया एलायंस फॉर पावर्टी इरेडिकेशन (एसएएपीई) ने तैयार की है।
• इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट कम्यूनिकेशन (आइडीसी) सेक्टर-38ए में त्रैवार्षिक रिपोर्ट ‘डायलॉग ऑन गवर्नेंस फॉर द मार्जिन्स विद रेफरेंस टू साउथ एशिया’ सेमिनार में जारी की गई। इसमें चंडीगढ़ के डायलॉग हाईवे ने भी सहयोग किया है।
• सरकारें लोगों को भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य व सुरक्षा देने में नाकाम : सेमिनार में प्रसिद्ध समाज शास्त्री प्रो. शिव विश्वनाथन ने कहा कि हमें ये सवाल उठाना चाहिए कि क्या भारतीय संविधान विविध जनता की आकांक्षाओं, उनके स्वभाव से निपटने में सक्षम है।
• इसके बाद डायलॉग हाईवे के प्रबंध न्यासी देविंदर शर्मा ने कहा, एसएएपीई की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशियाई देश गरीबी उन्मूलन में असफल रहे हैं और सरकारें हाशिए पर रहे लोगों को भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसी आधारभूत सुविधाएं देने में नाकाम रही हैं।
• एसएएपीई नेपाल की क्षेत्रीय समन्वयक प्रो. नेतरा तिमसीना ने कहा कि दक्षिण एशिया में दुनिया की 22 फीसद आबादी बसती है, लेकिन इसकी आय दुनिया की महज 1.3 प्रतिशत है। इस दौरान पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के कुलपति प्रो. बीएस घुम्मन ने कहा कि इस रिपोर्ट को नीति नियोजन का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। आइडीसी के निदेशक प्रमोद कुमार ने कहा कि बाजार ने सरकारों को दबा दिया है और हाशिये पर रह रहे लोगों की आवाज छीन ली है।

8. भारत में डेंगू फैलने का अनुमान लगा सकती है नई प्रणाली
• वैज्ञानिकों ने एक ऐसी पण्राली विकसित की है जो भारत के विभिन्न हिस्सों में डेंगू के प्रसार का अनुमान लगा सकती है। यह जलवायु कारकों पर आधारित होगी। इससे डेंगू के खिलाफ एहतियाती उपाय करने में मदद मिलेगी।
• ब्रिटेन में ‘‘लिवरपूल विविद्यालय’ के शोधार्थियों ने देश के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और केरल राज्यों में विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में डेंगू के प्रसार के जलवायु जोखिम की पहचान की है। इस टीम ने हैदराबाद स्थित ‘‘भारतीय रसायन प्रौद्योगिक संस्थान’ और गुवाहाटी स्थित ‘‘राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं शोध संस्थान’ के सहयोग से अध्ययन किया है।
•  इसके तहत इन इलाकों के रोजाना और मासिक तापमान पर गौर किया गया।इसमें पाया गया कि कम तापमान (17 से 18 डिग्री सेल्सियस) में विषाणु का संक्रमण कम हो गया। वहीं, तापमान बढ़ने के साथ-साथ मच्छरों का मेटाबोलिज्म बढ़ा और उन्हें अधिक आहार की जरूरत पड़ी।
• शोधार्थियों ने पाया कि गुजरात को छोड़ कर अन्य राज्यों में बारिश और डेंगू रोग में एक संबंध है। दरअसल, गुजरात में नम क्षेत्र भी हैं।
भारत सरकार की कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं

भारत सरकार की कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं

*भारत सरकार की कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं*

1. डिजिटल भारत

डिजिटल इंडिया की शुरुआत 21 अगस्त 2014 को हुई। इस  अभियान का उद्देश्य था कि भारत को एक इलेक्ट्रिाॅनिक अर्थव्यवस्था में बदला जाए। इस कार्यक्रम के तहत भारत सरकार की मंशा है कि सभी सरकारी विभाग और भारत की जनता एक दूसरे से डिजिटल रुप से या इलेक्ट्रिाॅनिक तौर पर जुड़े ताकि प्रभावी प्रशासन चलाया जा सके। इसका एक लक्ष्य कागज़ी कार्रवाई कम से कम करके सभी सरकारी सेवाओं को जनता तक इलेक्ट्रिाॅनिकली पहुंचाना है। सभी गांवों और ग्रामीण इलाकों को इंटरनेट नेटवर्क से भी जोड़ने की योजना है। डिजिटल भारत के तीन प्रमुख घटक हैं। डिजिटल बुनियादी सुविधाएं, डिजिटल साक्षरता और सेवाओं का डिजिटल वितरण।

2. परधानमंत्री जनधन योजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 28 अगस्त 2014 को प्रधानमंत्री जन धन योजना लांच की l इस योजना की घोषणा उन्होंने 15 अगस्त 2014 को अपने पहले स्वतंत्रता दिवस भाषण में की थी। यह एक वित्तीय समावेशन  योजना है। योजना के अनुसार कोई भी व्यक्ति शून्य बैलेंस राशि के साथ खाता खोल सकता है।

3. सवच्छ भारत अभियान

प्रधानमंत्री ने 24 सितंबर 2014 को स्वच्छ भारत अभियान को लांच की। जो कि पिछली सरकार द्वारा शुरु किये गए निर्मल भारत कार्यक्रम का संशोधित स्वरुप था। स्वच्छ भारत अभियान को औपचारिक रुप से महात्मा गांधी की जयंती पर 2 अक्टूबर 2014 को शुरु किया गया। इसका उद्देश्य था कि साल 2019 तक यानि महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती तक भारत को स्वच्छ बनाया जा सके। योजना है कि ग्रामीण और दूरस्थ इलाकों तक शौचालय और साफ-सफाई की सुविधाएं पहुंचाईं जाएं और जनता में सफाई के लिए, साफ सड़कों और गलियों के लिए, अतिक्रमण हटाने के लिए जागरुकता पैदा की जाए जिससे भारत दुनिया का सबसे साफ देश बन सके। शहरी विकास मंत्रालय ने हाल ही में सबसे साफ शहरों की सूची जारी की  जिसमें मैसूर नंबर वन शहर बना । इसके बाद तिरुचिपल्ली दूसरे तथा नवी मुंबई को तीसरे नंबर पर रखा गया ।

4. मक इन इंडिया

मूल रूप से यह एक नारा है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया है. इसके तहत भारत में वैश्विक निवेश और विनिर्माण को आकर्षित करने की योजना बनाई गई, जिसे 25 सितंबर 2014 को लॉन्‍च किया गया.मेक इन इंडिया अभियान इसलिए शुरु किया गया जिससे भारत में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर पैदा हों और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिले। मेक इन इंडिया की कोशिश है कि भारत एक आत्मनिर्भर देश बने। इसका एक उद्देश्य देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को अनुमति देना और घाटे में चल रही सरकारी कंपनियों की हालत दुरुस्त करना है। मेक इन इंडिया अभियान पूरी तरह से केंद्र सरकार के अधीन है और सरकार ने ऐसे 25 सेक्टरों की पहचान की है जिनमें वैश्विक लीडर बनने की क्षमता है।

5.सांसद आदर्श ग्राम योजना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 अक्टूबर 2014 को सांसद आदर्श ग्राम योजना की श की। इस योजना के अनुसार हर सांसद को साल 2019 तक तीन गांवों को विकसित करना होगा। इसका विचार यह है कि भारत के गांवों को भौतिक और संस्थागत बुनियादी ढांचे के साथ पूरी तरह विकसित किया जा सके। इस योजना के लिए कुछ दिशा निर्देश हैं जिन्हें ग्रामीण विकास विभाग ने तैयार किया है। प्रधानमंत्री ने 11 अक्टूबर 2014 को इन दिशा निर्देर्शों को जारी किया और सभी सांसदों से अपील की कि वे 2016 तक अपने संसदीय क्षेत्र में एक माॅडल गांव और 2019 तक दो और गांव तैयार करें।

6.बटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी को हरियाणा के पानीपत में एक और योजना शुरू की। 100 करोड़ रुपए के शुरुआती कॉर्पस के साथ यह योजना देशभर के 100 जिलों में शुरू की गई। हरियाणा में जहां बाल लिंगानुपात (सीएसआर) बेहद कम है। इस योजना का लक्ष्य लड़कियों को पढ़ाई के जरिए सामाजिक और वित्तीय तौर पर आत्मनिर्भर बनाना है। सरकार के इस नजरिए से महिलाओं की कल्याण सेवाओं के प्रति जागरूकता पैदा करने और निष्पादन क्षमता में सुधार को बढ़ावा मिलेगा।

7.सटैंड अप इंडिया स्कीम

5 अप्रैल 2016 को नोएडा के सैक्टर 62 में पीएम ने स्टैंड अप इंडिया स्कीम की शुरुआत की। इस योजना के लिए उन्होंने एक वेब पोर्टल शुरू  किया। इसके अंतर्गत नये उद्योगों को स्थापित करने में मदद की जायेगी, जिससे देश भर में रोजगार बढ़ेगा। स्टैंड अप इंडिया स्कीम केंद्र सरकार की एक योजना है जिसके अंतर्गत 10 लाख रुपये से 100 लाख रुपये तक की सीमा में ऋणों के लिए अनुसूचित जाति/अनुसूचित जन जाति और महिलाओं के बीच उद्यमशीलता को प्रोत्साहन दिया जायेगा।
स्टैंड अप इंडिया की खासियत-
1. नये उद्यम स्थापित करने के लिए कार्यशील पूंजी घटक के समग्र के तौर पर 10 लाख रुपये से 100 लाख रुपये तक के बीच के संयुक्त ऋण।
2. कार्यशील पूंजी के आहरण के लिए डेबिड कार्ड (रूपे)।
3. ऋण प्राप्तकर्ता का ऋण इतिहास तैयार किया जाएगा।
4. 10 हजार करोड़ रुपये की प्रारंभिक धनराशि के साथ भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) के माध्यम से पुन: वित्त सुविधा।
5. एनसीजीटीसी के माध्यम से ऋण गारंटी के लिए 5000 करोड़ रुपये के कोष का निर्माण।
प्रधानमंत्री उज्‍जवला योजना
इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री ने 1 मई 2016 को यूपी के बलिया से की.उज्ज्वला योजना के तहत 3 करोड़ BPL परिवार की महिलाओं को मुफ्त रसोई गैस कनेक्‍शन दिया.प्रधानमंत्री ने घोषणा की है कि आने वाले में तीन वर्षों में 5 करोड़ गरीब परिवारों को जहां लकड़ी का चूल्हा जलता है, मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जाएगा.

8. अटल पेंशन योजना

- प्रधानमंत्री जन धन योजना की सफलता से उत्‍साहित देश की युवा पीढ़ी को ध्‍यान में रखकर तैयार की गई मोदी सरकार की यह एक और अहम योजना है.
- वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फरवरी 2015 के बजट भाषण में कहा था, 'दुखद है कि जब हमारी युवा पीढ़ी बूढ़ी होगी उसके पास भी कोई पेंशन नहीं होगी.' यह योजना इसी कमी को दूर करने के लक्ष्‍य के साथ शुरू की गई.
- इससे ये सुनिश्चित होगा कि किसी भी भारतीय नागरिक को बीमारी, दुर्घटना या वृद्धावस्था में अभाव की चिंता नहीं करनी पड़ेगी.
- इसे आदर्श बनाते हुए राष्ट्रीय पेंशन योजना के तौर पर अटल पेंशन योजना एक जून 2015 से प्रभावी हो गई.
- इस योजना का उद्देश्य असंगठित क्षेत्र के लोगों को पेंशन फायदों के दायरे में लाना है.
- इससे उन्हें हर महीने न्यूनतम भागीदारी के साथ सामाजिक सुरक्षा का लाभ उठाने की अनुमति मिलेगी.

9.परधानमंत्री कौशल विकास योजना

- गरीबी के खिलाफ लड़ाई और बेहतर रोजगार अवसर के लिए देश के लोगों खासकर युवाओं को कुशल बनाने के लिए इस योजना की शुरुआत की गई.15 जुलाई 2015 को इसकी शुरुआत करते हुए पीएम ने कहा, 'अगर देश के लोगों की क्षमता को समुचित और बदलते समय की आवश्यकता के अनुसार कौशल का प्रशिक्षण दे कर निखारा जाता है तो भारत के पास दुनिया को 4 से 5 करोड़ कार्यबल उपलब्ध करवाने की क्षमता होगी।सरकार इसके तहत देश के इंडस्‍ट्रियल ट्रेनिंग सेंटर्स को बढ़ावा देती है, ताकि युवाओं को स्‍किलफुल बनाया जा सके.

10. सकन्‍या समृद्धि योजना

- इस योजना की शुरुआत पीएम मोदी ने 22 जनवरी 2015 को की.
- यह असल में 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' योजना का ही विस्‍तार है, जिसका मकसद देश में बेटियों के लिए सकारात्‍मक माहौल तैयार करना है.
- इसमें बेटी के नाम से बैंक खाता खोलने पर सबसे अधिक 9.2 फीसदी का ब्‍याज दर मिलता है.
- इससे इनकम टैक्‍स में छूट मिलती है.
- इस खाते की मैच्‍योरिटी खाता खोलने की तारीख से 21 साल या फिर बेटी की शादी की तारीख जो पहले आ जाए होती है.
- इसमें शुरुआती जमा राशि‍ 1000 रुपये है, जबकि अधि‍कतम 1.5 लाख रुपये तक जमा किया जा सकता है।

11.मद्रा बैंक योजना

प्रधानमंत्री ने इस योजना की शुरुआत 8 अप्रैल 2015 को की.इसके तहत मुद्रा बैंक छोटे एंटरप्रेन्‍योर्स को 10 लाख रुपये तक का क्रेडिट देतीहै और माइक्रो फाइनेंस इंस्‍ट‍िट्यूसंश के लिए रेगुलेटरी बॉडी की तरह काम करती है.इसका उद्देश्‍य छोटे एंटरप्रेन्‍योर्स को बढ़ावा देना है.इसमें तीन विकल्‍प हैं- शि‍शु में 50 हजार तक का लोन, किशोर में 50 हजार से 5 लाख तक का लोन और तरुण में 5 लाख से 10 लाख तक का लोन दिया जाता है.
प्रधानमंत्री जीवन ज्‍योति बीमा योजना
इसकी शुरुआत इस योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री ने 9 मई 2015 को की थी ।यह सरकार के सहयोग से चलने वाली जीवन बीमा योजना है।इसमें 18 साल से 50 साल तक के भारतीय नागरिक को 2 लाख रुपये का बीमा कवर सिर्फ 330 रुपये के सलाना प्रीमियम पर उपलब्‍ध है.

12.परधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना

- इसकी शुरुआत भी 9 मई 2015 को ही की गई थी.
- इसमें 18 से 70 साल की उम्र के नागरिक की दुर्घटनावश मृत्‍यु या पूर्ण विकलांगता की स्‍थि‍ति में 2 लाख का कवर दिया जाता है.
- आंशि‍क विकलांगता की स्‍थि‍ति में 1 लाख का बीमा कवर है.

13. किसान विकास पत्र

- यह एक सर्टिफिकेट योजना है, जो पहली बार 1988 में लॉन्‍च की गई थी. नई सरकार ने से 2014 में री-लॉन्‍च किया है.
- इसमें 1 हजार, 5 हजार, 10 हजार और 50 हजार की राशि‍ को 100 महीनों में दोगुना करने का प्रावधान है.
- इसमें किसी एक व्‍यक्‍ति‍ या ज्‍वॉइंट नाम पर भी सर्टिफिकेट जारी किया जाता है, जिसका कर्ज लेने के क्रम में इस्‍तेमाल किया जा सकता है.
- इसे वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 18 नवंबर 2014 को लॉन्‍च किया.

14. कषि‍ बीमा योजना

- इसके तहत किसान अपनी फसल का बीमा करवा सकते हैं. यदि मौमस के प्रकोप से या किसी अन्‍य कारण से फसल को नुकसान पहुंचता है तो यह योजना किसानों की मदद करती है.

15. परधानमंत्री ग्राम सिंचाई योजना

- मोदी सरकार खुद को किसानों की सरकार बताती रही है. इसी क्रम में गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने यह सिंचाई योजना लॉन्‍च की. इसके तहत देश की सभी कृषि‍ योग्‍य भूमि को सिंचित करने का लक्ष्‍य है.

 16  स‍वायल हेल्‍थ कार्ड स्‍कीम(soil health card)

- सरकार इसके तहत किसानों को उनकी कृषि‍ भूमि की उर्वरकता के आधार पर स्‍वायल हेल्‍थ कार्ड जारी करती है.
- इस कार्ड में मिट्टी की जांच के बाद इस बात की जानकारी रहती है कि मिट्टी को किन उर्वरकों की जरूरत है. साथ ही इसमें कौन से फसल बेहतर हो सकते हैं.
- मोदी सरकार ने इसके लिए 100 करोड़ का बजट भी दिया है.

17. HRIDAY (नेशनल हेरिटेज सिटी डेवलपमेंट एंड ऑग्‍मेंटेशन
 योजना)

- शहरी विकास मंत्रालय ने 21 जनवरी 2015 को इस योजना की शुरुआत की.
- इसका मुख्‍य उद्देश्‍य हेरिटेड सिटीज के विकास पर है.
- मार्च 2017 तक इस योजना के मद में 500 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं.
- अजमेर, अमरावती, अमृतसर, बदामी, द्वारका, गया, कांचीपुरम, मथुरा, पुरी, वाराणसी, वेलंकणी और वारंगल में इसके तहत काम हो रहा है.
18. इद्रधनुष

- इस योजना का उद्देश्‍य बच्‍चों में रोग-प्रतिरक्षण की प्रक्रिया को तेज गति देना है.
- इसमें 2020 तक बच्‍चों को सात बीमारियों- डिप्थीरिया, काली खांसी, टिटनेस, पोलियो, टीबी, खसरा और हेपेटाइटिस बी से लड़ने के लिए वैक्‍सनेशन की व्‍यवस्‍था की गई है.
- इसे 25 दिसंबर 2014 को केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री जेपी नड्डा ने लॉन्‍च किया.

19. दीन दयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्‍योति योजना

- भारत के गांवों को अबाध बिजली आपूर्ति लक्ष्‍य करते हुए इस योजना की शुरुआत की गई है.
- सरकार गांवों तक 24x7 बिजली पहुंचाने के लिए इस योजना के तहत 75 हजार 600 करोड़ रुपये खर्च करने वाली है.
- यह योजना राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के रिप्‍लेसमेंट के तौर पर लाई गई.
भारत सरकार की कुछ महत्वपूर्ण योजनाएं

 20. दीन दयाल उपाध्‍याय ग्रामीण कौशल्‍या योजना

- यह योजना ग्रामीण जगत के युवाओं को रोजगार के अवसर मुहैया करवाने के लिए लक्षि‍त है.
- 25 सितंबर 2014 को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और वेंकैया नायडू ने इसकी शुरुआत की.
- इसके तहत 18 साल से 35 साल के ग्रामीण युवाओं को रोजगार के अवसर दिए जाएंगे.

 21. महात्‍मा गांधी प्रवासी सुरक्षा योजना

- यह योजना विदेश मंत्रालय के अधीन है. इसके तहत विदेशों में रह रहे भारतीय मजदूरों के लिए पेंशन और जीवन बीमा की व्‍यवस्‍था है.
- यह एक वॉलेंटियरी स्‍कीम है.

 22. उड़ान प्रोजेक्‍ट

- जम्मू एवं कश्मीर में 'उड़ान' योजना की शुरुआत विशेष उद्योग पहल के तहत 40,000 युवाओं को पांच साल में प्रमुख उच्च विकास क्षेत्रों में कौशल प्रदान करने और उनमें रोजगार क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से की गई है.
- राष्ट्रीय कौशल विकास परिषद (एनएसडीसी) और निगमित क्षेत्र द्वारा इस योजना का क्रियान्वयन पीपीपी मोड में किया जा रहा है.
राष्ट्रीय पोषण सप्ताह: 1-7 सितंबर

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह: 1-7 सितंबर

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह: 1-7 सितंबर

राष्ट्रीय पोषण सप्ताह (एनएनडब्ल्यू), भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, खाद्य और पोषण बोर्ड द्वारा शुरू किया गया वार्षिक पोषण कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम पूरे देश में प्रतिवर्ष 1 से 7 सितंबर तक मनाया जाता है। पोषण सप्ताह मनाने का मुख्य उद्देश्य बेहत्तर स्वास्थ्य के लिए पोषण के महत्व पर जागरूकता बढ़ाना है, जिसका विकास, उत्पादकता, आर्थिक विकास और अंततः राष्ट्रीय विकास पर प्रभाव पड़ता है।

विषय:

‘उत्कृष्ट शिशु एवं बाल आहार पद्यति: बेहत्तर बाल स्वास्थ्य’ राष्ट्रीय पोषण सप्ताह वर्ष 2017 का विषय है। शैशवावस्था एवं प्रारंभिक बाल्यावस्था के दौरान उचित पोषण बच्चों को जीवन में बढ़ने, विकास करने, सीखने, खेलने, भाग लेने और समाज में योगदान करने योग्य बनाता है, जबकि कुपोषण संज्ञानात्मक क्षमता, शारीरिक विकास, प्रतिरक्षा प्रणाली को ख़राब करता है तथा बाद के जीवन में रोग (जैसे कि मधुमेह एवं हृदय रोग) उत्पन्न होने के ज़ोखिम को बढ़ाता है।

प्रमुख तथ्य:

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का आहार एवं पोषण परिषद 30 राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों स्थित अपने 43 सामुदायिक आहार और पोषण इकाईयों के माध्यम से राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के विभागों, राष्ट्रीय संस्थानों, स्वयं सेवी संगठनों से समन्वय स्थापित करेगा तथा किसी प्रमुख विषय पर कार्यशाला, प्रशिक्षण कार्यक्रम, तथा सामुदायिक बैठकों का आयोजन करेगा।

राज्य, जिला तथा गाँव स्तर पर अऩेक कार्यक्रम आयोजित किए जाएगें और इसमें सस्ते पोषक भोजन की विधि भी बताई जाएगी। स्कूल शिक्षकों, आगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, ग्रामीण महिलाओं तथा महिला समितियों के समक्ष प्रदर्शनी के माध्यम से विभिन्न आयु वर्गों के लिए सस्ते पोषक भोजन की विधि बताई जाएगी। गाँव स्तर पर कठपुतली, नृत्य, नाटक तथा फिल्मों के माध्यम से पोषण के प्रति जागरुकता बढ़ाई जाएगी।

वर्तमान और आगे आने वाली पीढ़ी के जीवित रहने, स्वास्थ्य तथा विकास के लिए पोषण एक आवश्यक मुद्दा है। ऐसे नवजात जिनके जन्म के समय वजन निर्धारित सीमा से कम होता है उन्हें बीमारियों की आशंका ज्यादा रहती है। कुपोषित बच्चों की बुद्धि मत्ता भी कम होती है। सभी आयु वर्गों के लोगों का पोषण तथा स्वास्थ्य राष्ट्रीय आर्थिक संपदा होती है।

राष्ट्रीय विकास के लिए आबादी के पोषण स्तर में सुधार आवश्यक है। एनएफएचएस4 द्वारा भी विशेषकर महिलाओं और बच्चों के पोषण स्तर में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज नही की जा सकी है। कम वजन वाले लोगों की संख्या में 6.8 प्रतिशत की कमी आई है। रक्त की कमी वाले लोगों की संख्या में भी 11 प्रतिशत की कमी आई है। कुपोषण को केवल गरीबी के संदर्भ में नही देखा जाना चाहिए। यह एक राष्ट्रीय समस्या है और उत्पादकता व आर्थिक विकास पर इसका कुप्रभाव पड़ता है।

एएमएस पर विश्व व्यापार संगठन में भारत और चीन द्वारा संयुक्त प्रस्ताव:

भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद सुलझने के बाद सरकार ने अमीर देशों द्वारा अपने किसानों को दी जा रही सब्सिडी के विरोध में चीन के साथ विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को भेजे गए भारत-चीन संयुक्त प्रस्ताव का समर्थन दोहराया है। दोनों देशों ने संयुक्त रूप से जुलाई में डब्ल्यूटीओ को प्रस्ताव सौंपा था, जिसमें विकसित देशों द्वारा दी जाने वाली कृषि सब्सिडी को व्यापार बिगाडऩे वाली सबसे सबसे खराब व्यवस्था बताते हुए वापस लिए जाने की मांग की गई है।

31 अगस्त 2017 को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने कहा कि इस तरह की सहायता खत्म की जानी चाहिए, जो घरेलू समर्थन को लेकर चल रही चर्चा की पूर्वशर्त है। दोनों देशों का संयुक्त प्रस्ताव इसलिए महत्त्वपूर्ण है क्योंकि दिसंबर में ब्यूनस आयर्स में 11वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन होने जा रहा है। संयुक्त प्रस्ताव अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्राजील के नेतृत्व में अमीर देशों द्वारा विकासशील देशों की सब्सिडी को निशाना बनाए जाने विरोध में आया है। विकसित देश अपनी अर्थव्यवस्था के तहत भारी मात्रा में कृषि सब्सिडी बहाल रखे हुए हैं।

प्रस्ताव के विरोध में ब्राजील और यूरोपीय संघ पहले ही साथ आ गए हैं और डब्ल्यूटीओ में आक्रामक रूप से विरोध कर रहे हैं। वाणिज्य मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, 'भारत व चीन ने संयुक्त रूप से एक प्रस्ताव डब्ल्यूटीओ को सौंपा है जिसमें विकसित देशों द्वारा दी जा रही कृषि सब्सिडी को समाप्त करने का आह्वान किया गया है।' बयान के अनुसार प्रस्ताव में इस सब्सिडी को 'कृषि सब्सिडी का सबसे अधिक व्यापार बिगाड़ू रूप' बताया गया है। डब्ल्यूटीओ की भाषा में इस प्रकार की सब्सिडी को 'एग्रीगेट मेजरमेंट आफ सपोर्ट (एएमएस)' या 'एंबर बाक्स' सब्सिडी कहा जाता है।

संयुक्त पत्र में कहा गया है कि अमेरिका, यूरोपीय संघ तथा कनाडा सहित विकसित देश अपने किसानों को लगातार भारी भरकम सब्सिडी दे रहे हैं। यह सब्सिडी विकासशील देशों के लिए तय सीमा से कहीं अधिक है।

पृष्ठभूमि:

विकसित देशोंं द्वारा 1995 से ही दी जा रही भारी भरकम सब्सिडी वाले उत्पादों का उल्लेख करते हुए इस पत्र में कहा गया है कि इनमें से तमाम उत्पादों पर 50 प्रतिशत से ऊपर और यहां तक कि कुछ उत्पादों पर 100 प्रतिशत से ऊपर सब्सिडी दी जाती है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है, 'संयुक्त पत्र में अमेरिका, यूरोपीय संघ और कनाडा सहित विकसित देशों का हवाला दिया गया है, जो अपने किसानों को कारोबार बिगाडऩे वाली सब्सिडी लगातार मुहैया करा रहे हैं, जो विकासशील देशों के लिए तय की गई सीमा की तुलना में बहुत ज्यादा है।'

इसके अनुसार विकसित देशों द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी लगभग 160 अरब डॉलर की है। वहीं दूसरी ओर भारत जैसे देशों द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी लगभग 260 डॉलर प्रति किसान सालाना है। इस तरह  कुछ विकसित देश किसानों को विकासशील देशों की तुलना में 100 गुना से ज्यादा सब्सिडी मुहैया करा रहे हैं। इस मसले पर भारत ने कहा कि कृषि सब्सिडी तय सीमा से अधिक नहीं दी जानी चाहिए।

Current Affairs 2 Sep. 2017 in Hindi

Current Affairs 2 Sep. 2017 in Hindi

Current Affairs 2 Sep. 2017 in Hindi

1.अमेरिका-रूस के बीच फिर तनाव : अमेरिका ने रूस का वाणिज्यिक दूतावास बंद किया

• रूस और अमेरिका के बीच शुक्रवार को एक बार फिर से राजनयिक खींचतान शुरू हो गई। इसकी शुरुआत उस वक्त हुई जब अमेरिका ने सैन फ्रांसिस्को स्थित रूस के वाणिज्य दूतावास और दो राजनयिक एनेक्सियों को बंद करने के आदेश दिए।
• अमेरिका ने यह जवाबी कार्रवाई ऐसे समय में की है जब रूस स्थित अमेरिकी राजनयिक मिशन में कर्मियों की संख्या घटाने की क्रेमलिन की मांग पर वॉशिंगटन द्वारा अमल करने की समय सीमा एक सितम्बर को पूरी हो गई।
• परमाणु शक्ति संपन्न दोनों देशों के बीच इस तनातनी से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से रिश्ते सुधारने की कोशिशों को एक और झटका लगा है। वॉशिंगटन ने कहा कि बृहस्पतिवार को समानता की भावना के तहत उसने सैन फ्रांसिस्को स्थित रूस के वाणिज्यिक दूतावास और वॉशिंगटन एवं न्यूयॉर्क स्थित दो राजनयिक एनेक्सियों को बंद करने के आदेश दिए थे।
• अमेरिका ने दी चेतावनी : विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नॉअर्ट ने एक बयान में कहा, रूस में हमारे मिशन का आकार घटाने के रूसी फेडरेशन की सरकार के फैसले पर अमेरिका ने पूरी तरह अमल किया है।
• अमेरिका ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दोनों पक्ष बदले की भावना से की जाने वाली और कार्रवाइयों से परहेज कर सकते हैं और संबंधों में सुधार कर सकते हैं, लेकिन उसने चेतावनी भी दी कि वह जरूरत पड़ने पर और कार्रवाई करने के लिए तैयार है।
• रूस ने जताया अफसोस :रूस के विदेश मंत्रालय ने तनाव बढ़ने पर अफसोस जताया और कहा कि वह अमेरिका की ओर से उठाए गए कदमों का विश्लेषण करने के बाद अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करेगा। हालांकि, रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने ताजा तनाव के लिए ट्रंप प्रशासन को जिम्मेदार ठहराने से परहेज किया और सारा ठीकरा उनके पूर्ववर्ती बराक ओबामा पर फोड़ दिया। लावरोव ने कहा, रूस के हितों का जवाब जहां मिलेगा, वहां रचनात्मक सहयोग के लिए हम आज भी तैयार हैं।

2. सहयोग से जुड़े मुद्दों पर सुषमा ने की श्रीलंकाई राष्ट्रपति से बात

• भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को श्रीलंकाई राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरीसेन से भेंट कर द्विपक्षीय सहयोग से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। श्रीलंका में चीन की बढ़ती भूमिका के बीच इस मुलाकात को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
• सुषमा दूसरे हिन्द महासागर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कोलंबो की यात्रा  पर हैं। उन्होंने दो दिनी सम्मेलन से इतर सिरीसेन से भेंट की। विदेश मंत्रलय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यह जानकारी दी।
• उन्होंने ट्वीट किया, ‘विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने राष्ट्रपति मैत्रिपाल सिरीसेन के साथ आपसी सहयोग से जुड़े द्विपक्षीय मुद्दों पर विचार विमर्श किया।’
• सुषमा ने इस भेंट में कहा कि हिन्द महासागर में शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी क्षेत्रीय देशों की है।
• श्रीलंका के प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने हंबनटोटा बंदरगाह पर चीन की मौजूदगी को लेकर भारत की चिंता को दूर करने की कोशिश की।
• उन्होंने सुषमा की उपस्थिति में हंिदू महासागर सम्मेलन में कहा, ‘कुछ लोग यह दावा कर रहे हैं कि हंबनटोटा पोर्ट सैन्य अड्डा होगा। मैं साफ कहना चाहता हूं कि श्रीलंका किसी भी देश के साथ न तो सैन्य गठजोड़ करेगा और न उसे अपने अड्डों का इस्तेमाल की अनुमति देगा।’
• ज्ञात हो,चीन हंबनटोटा को करीब सात हजार करोड़ रुपये में विकसित करेगा। इसमें चीन की 70 फीसद तक हिस्सेदारी होगी।

3. सेना-रोहिंग्या संघर्ष से म्यांमार में और बिगड़े हालात

• म्यांमार के अशांत रखाइन प्रांत की स्थिति बिगड़ती जा रही है। पुलिस नाकों और सैन्य अड्डे पर 24 अगस्त को हमले के बाद सेना ने रोहिंग्या  विद्रोहियों और उनके अड्डों को खत्म करने का अभियान छेड़ दिया है। खूनी टकराव में अब तक 400 लोग मारे जा चुके हैं ।
• संयुक्त राष्ट्र के अनुसार सैन्य अभियान के बाद से 38 हजार रोहिंग्या मुसलमान बांग्लादेश की में प्रवेश कर चुके हैं। बीस हजार से ज्यादा शरणार्थी सीमावर्ती इलाकों में फंसे हैं।
• दशकों बाद हालात इस कदर खराब हुए हैं। वर्ष 2012 में रखाइन प्रांत की राजधानी सितवे में भड़के दंगों में दो सौ लोग मारे गए थे और 1.40 लाख लोगों को विस्थापित होना पड़ा था। इस बार महज छह दिनों में ही विस्थापितों की संख्या 60 हजार के करीब पहुंच चुकी है।
• म्यांमार की सेना का कहना है कि उसका अभियान आतंकियों के खिलाफ है। सेना ने गुरुवार को कहा कि मरने वालों में 370 रोहिंग्या विद्रोही, 13 सेना के जवान, दो सरकारी अधिकारी और 14 आम नागरिक हैं।
• चार विद्रोही गिरफ्तार भी किए गए हैं, इनमें 13 साल का एक किशोर भी शामिल है।
• इस बीच, नौका दुर्घटना में मारे गए शरणार्थियों की संख्या 40 तक पहुंच गई है। शरणार्थियों से लदी एक न

सामान्य अध्ययन, [02.09.17 08:22]
ौका बुधवार को म्यांमार और बांग्लादेश को बांटने वाली नफ नदी में डूब गई थी।
• बांग्लादेश के सीमाई इलाके कॉक्स बजार में हजारों की तादाद में भूखे-प्यासे रोहिंग्या शरणार्थी पहुंच रहे हैं।

4. भारतवंशी पिल्लई फिर बने सिंगापुर के कार्यवाहक राष्ट्रपति

• भारतीय मूल के जेवाई पिल्लई को फिर सिंगापुर का कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया गया है। राष्ट्रपति सलाहकार परिषद (सीपीए) के अध्यक्ष पिल्लई इससे पूर्व भी 60 से ज्यादा बार कार्यवाहक राष्ट्रपति की भूमिका निभा चुके हैं।
• नियमों के अनुसार राष्ट्रपति पद के रिक्त होने, महामहिम के विदेश दौरों के वक्त सीपीए अध्यक्ष को कार्यकारी राष्ट्रपति चुना जाता है। सीपीए अध्यक्ष मौजूद ना हों तो संसद के अध्यक्ष यह जिम्मेदारी संभालते हैं। 23 सितंबर को राष्ट्रपति का चुनाव होना है।
• इससे पूर्व 13 सितंबर को नामांकन पत्र दाखिल होगा। अगर सिर्फ एक उम्मीदवार ने नामांकन दाखिल किया तो फिर पिल्लई को 13 सितंबर को ही राष्ट्रपति की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी।

5. ब्रिटिश वायुसेना के लड़ाकू दस्ते में महिलाओं को मिलेगी जगह

• ब्रिटिश वायुसेना रॉयल एयर फोर्स (आरएएफ) ने शुक्रवार से अपने लड़ाकू दस्ते में शामिल होने की इच्छुक महिलाओं के आवेदन स्वीकार करना शुरू कर दिया है। ब्रिटेन की सेना में महिलाओं और पुरुषों के लिए सभी भूमिकाएं खोलने वाली आरएएफ पहली शाखा है।
• आरएएफ रेजीमेंट का मुख्य काम हवाई गश्त करना और आरएएफ के बेस कैंप व हवाई क्षेत्र को सुरक्षित रखना है।
• वायुसेना में केवल 10 फीसद हैं महिलाएं : एक रक्षा अधिकारी ने कहा, वायुसेना में केवल 10 फीसद महिलाएं हैं इसलिए ज्यादा आवेदन आने की संभावना नहीं है। लेकिन,अब महिलाएं फाइटर पायलट से लेकर जमीनी सुरक्षा की भूमिकाओं के लिए आवेदन दे सकती हैं।
•  सेना और नौसेना में लड़ाकू भूमिकाओं में महिलाओं को जगह देने के लिए अभी एक साल का समय लग सकता है क्योंकि इन भूमिकाओं के लिए अधिक शारीरिक बल की आवश्यकता होती है।
• मालूम हो कि, 2016 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने महिलाओं के लड़ाकू दस्ते में शामिल होने को लेकर लगी रोक हटा दी थी। इसके बाद रक्षा मंत्री माइकल फैलोन ने गत जुलाई में घोषणा की थी कि आरएएफ रेजीमेंट महिलाओं के लिए 2018 की जगह इसी साल सितंबर में ही खोल दी जाएगी।

6. एनएचआरसी की याचिका वृहद पीठ को सौंपी

• उच्चतम न्यायालय ने मुठभेड़ में होनी वाली मौतों के बारे में सभी राज्यों के लिए अनिवार्य रूप से सूचना मुहैया कराने के निर्देश के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की याचिका शुक्रवार को वृहद पीठ को सौंप दी।
• न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति आर भानुमति की दो सदस्यीय पीठ ने कहा कि यह उचित होगा कि इस याचिका में उठाए गए मुद्दों पर तीन न्यायाधीशों की पीठ फैसला करे।आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमणियम और वकील शोभा गुप्ता ने कहा कि यह शुद्ध रूप से कानूनी सवाल है क्योंकि कानून में ही ऐसे मामले की जांच का प्रावधान है।
• कानून में आयोग खुद या पीड़ित द्वारा याचिका दायर करने पर या उसकी ओर से मानवाधिकार के उल्ल्ंघन के बारे में किसी लोक सेवक की शिकायत मिलने पर जांच का प्रावधान है। शीर्ष अदालत ने कहा कि वृहद पीठ सभी मुद्दों पर विचार करेगी।
• न्यायालय ने चार जुलाई को सभी राज्यों को मानवाधिकार आयोग की याचिका पर जवाब देने का निर्देश दिया था। आयोग ने 2014 में दायर इस याचिका में यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि मानवाधिकार संरक्षण कानून 1993 और इसके दिशानिर्देशों के तहत राज्य सरकार और पुलिस को मुठभेड़ में व्यक्तियों के मारे जाने के मामलों की जानकारी आयोग को उपलब्ध कराते रहें।
• आयोग यह भी चाहता था कि राज्य सरकारों को उसकी सिफारिशों पर अमल करने से इंकार नहीं करना चाहिए। आयोग ने कहा कि शीर्ष अदालत के 2014 के फैसले के तहत कुछ दिशा निर्देश तैयार किए थे और ऐसी जांच के मामलों में उसकी भूमिका एक तरह से खत्म हो गई थी।

7. जीएसटी की बाधा पार कर गया मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र

• जीएसटी के चलते चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कल कारखानों की ठप पड़ी मशीनें अगस्त में फिर से चलने लगी हैं। अगस्त 2017 में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र को मिले ऑर्डर से कारखानों की रौनक फिर से लौट आई है। पीएमआइ के इंडेक्स से जो संकेत मिल रहे हैं, उसके मुताबिक इस महीने देश में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार काफी अच्छी रहने की उम्मीद है।
• ऑटो उद्योग के आंकड़ों से भी इंडेक्स के दावे को मजबूती मिल रही है।1निक्केई इंडिया मैन्यूफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआइ) अगस्त में एक बार फिर से 50 से ऊपर आ गया है। इस महीने यह 51.2 रहा। जबकि जुलाई में यह 47.9 अंक तक गिर गया था।
• पीएमआइ का 50 से ऊपर निकलना आर्थिक विकास के लिहाज से सकारात्मक माना जाता है। यह आंकड़ा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि एक दिन पहल

सामान्य अध्ययन, [02.09.17 08:22]
े ही पहली तिमाही के जीडीपी के आंकड़े आए थे जिसके मुताबिक इस अवधि में मैन्यूफैक्चरिंग काफी सुस्त रही। हालांकि इसके पीछे अहम कारण जीएसटी का लागू होना रहा।
• जुलाई से जीएसटी लागू होने के कारण जून तक कंपनियों में उत्पादन धीमा रहा। उन्होंने इस दौरान पुराना स्टॉक निकालने पर ज्यादा ध्यान दिया। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद स्थिति स्पष्ट हुई और कारखानों में एक बार फिर से उत्पादन शुरू हो गया है।
• माना जा रहा है कि कारखानों के प्रदर्शन में आया यह बदलाव जुलाई-सितंबर की तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की पूरी तस्वीर बदल सकता है। पीएमआइ रिपोर्ट बनाने वाली अर्थशास्त्री पोलियाना डी लीमा का मानना है कि अगस्त में कारखानों के प्रदर्शन में अभूतपूर्व परिवर्तन देखने को मिला है।

8. 20 लाख से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों को भी जीएसटी दायरे में लाएं : प्रधानमंत्री

• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सालाना 20 लाख रुपए से कम टर्नओवर वाले कारोबारियों को भी जीएसटी के दायरे में लाने की बात कही है। शुक्रवार को दूसरे 'राजस्व ज्ञान संगम' का उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा, 'सभी ट्रेडर्स को जीएसटी का पूरा लाभ मिले, इसके लिए हमें छोटे कारोबारियों को भी जीएसटी में रजिस्ट्रेशन कराने की कोशिश करनी चाहिए। उन्हें भी जिनका टर्नओवर 20 लाख रुपए से कम है।' दो दिवसीय 'संगम' में सीबीडीटी और सीबीईसी के वरिष्ठ अधिकारी भाग ले रहे हैं।
• उन्होंने बताया कि दो महीने में 17 लाख नए ट्रेडर जीएसटी में रजिस्टर्ड हुए हैं। अभी सालाना 20 लाख रुपए तक टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए जीएसटी में रजिस्ट्रेशन जरूरी नहीं है। उन्हें जीएसटी नहीं चुकाना पड़ता। हालांकि दूसरे राज्यों में सप्लाई करने वालों के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी है, भले ही टर्नओवर 20 लाख से कम हो।
• प्रधानमंत्री ने अपील में फंसे टैक्स मामलों की बड़ी संख्या पर नाखुशी जताई। कहा कि इनमें काफी रकम फंसी हुई है, जिनका इस्तेमाल गरीबों के कल्याण में किया जा सकता था। उन्होंने ऐसे मामले खत्म करने के लिए अधिकारियों से एक्शन प्लान बनाने को कहा। इस मौके पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी लागू करने में केंद्र और राज्यों के अधिकारियों के प्रयासों की तारीफ की।

9. विदेशी मुद्रा भंडार रिकार्ड स्तर पर

• देश के विदेशी मुद्रा भंडार में जोरदार वृद्धि दर्ज हुई है। 25 अगस्त को समाप्त सप्ताह में 1.15 अरब डालर बढ़कर 394.55 अरब डालर के अब तक रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया।
• गत 18 अगस्त को समाप्त सप्ताह में यह 21.11 करोड़ डालर घटकर 393.40 अरब डालर रह गया था। इससे पहले 11 अगस्त को समाप्त सप्ताह में यह 16.38 करोड़ डालर की बढ़त के साथ रिकार्ड 393.61 अरब डालर पर पहुंचा था।
• रिजर्व बैंक द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार आलोच्य सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति में 1.15 डालर की भारी बढ़त दर्ज की गई और यह 370.83 करोड़ डालर पर आ गई।

10. अब शुरू होगा नदी जोड़ो परियोजना का काम

• देश की कुछ बड़ी नदियों को जोड़ने की सालों से अटकी परियोजना पर एक महीने के अंदर काम शुरू हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का उद्देश्य देश में हर साल आने वाली बाढ़ और सूखे की स्थिति को खत्म करना है। इस परियोजना पर करीब 5,500 अरब रुपये का खर्च आने का अनुमान है।
•  इस परियोजना के तहत गंगा समेत करीब 60 नदियों को जोड़ने की योजना है। सरकार को उम्मीद है कि परियोजना के पूरे होने पर किसानों की मानसून पर निर्भरता बहुत कम हो जाएगी, क्योंकि लाखों हेक्टेयर कृषियोग्य भूमि सिंचित क्षेत्र के तहत आ जाएगी। इसके अलावा हजारों मेगावाट बिजली का उत्पादन भी संभव हो सकेगा।
• सूत्रों ने बताया कि पर्यावरणविदों, बाघ संरक्षकों और पूर्व राज परिवारों के विरोध के बावजूद प्रधानमंत्री मोदी ने परियोजना के पहले चरण की मंजूरियों के लिए व्यक्तिगत रूप से प्रयास किए हैं। मोदी मंत्रिमंडल एक-दो हफ्ते में इस परियोजना पर काम शुरू करने अनुमति प्रदान कर देगा। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली से निर्माण कार्यो की शुरुआत करेंगे।
• परियोजना के तहत केन नदी पर बांध बनाने के अलावा इसे 22 किमी लंबी एक नहर के जरिये बेतवा नदी से जोड़ा जाएगा। ये दोनों नदियां उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से होकर गुजरती हैं और दोनों ही राज्यों में भाजपा सरकार है। प्रधानमंत्री को उम्मीद है कि केन-बेतवा परियोजना अन्य नदी जोड़ो परियोजनाओं के लिए उदाहरण साबित होगी।
• जल संसाधन राज्य मंत्री संजीव बालियान ने बताया, ‘हमें रिकॉर्ड समय में मंजूरियां हासिल हुई हैं। केन-बेतवा नदी जोड़ो परियोजना तो सरकार की प्राथमिकताओं में शीर्ष पर है।’
• इसके अलावा पश्चिम भारत में तापी-नर्मदा और दमन गंगा-पिंजल नदियों को जोड़ने की परियोजनाओं पर भी सरकार कागजी कार्रवाई पूरी करने में जुटी हुई है।

11. अंटार्कटिक का समुद्री जीवन होगा प्रभावित

• ग्लोबल वार्मिग को लेकर वैज्ञानिक अभी तक जितनी चिंता जताते आए हैं, दरअसल इसके परिणाम उससे ज्यादा घातक होंगे। खासकर अंटार्कटिक के समुद्री जीवन पर। हाल ही में ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने समुद्री जीवों पर ताप के प्रभाव को लेकर अध्ययन किया, जिसके बाद यह चेतावनी जारी की गई है।
• इस अध्ययन में वैज्ञानिकों पाया कि एक डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ने से समुद्र के नीचे रहने वाले कई कीड़ों व अन्य जीवों की वृद्धि दोगुनी हो जाएगी। इनके ज्यादा प्रभावशाली होने से अन्य प्रजातियों पर नकारात्मक असर पड़ेगा और उनकी संख्या कम होगी।
• ऐसा होने से जैव विविधता में कमी आएगी, जो चिंता का विषय है।करेंट बायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, शोधकर्ताओं ने समुद्री क्षेत्र में नौ माह तक प्रयोग किए। इसमें उन्होंने बताया कि आने वाले दशकों में मानव निर्मित ग्रीन हाउस गैसों का प्रभाव पर्यावरण पर बढ़ेगा। इससे वैश्विक स्तर पर तापमान में इजाफा होगा, जिसका समुद्री जीवन पर जो असर पड़ेगा वो खतरे की घंटी है।
• ब्रिटिश अंटार्कटिक सर्वे एंड स्मिथसोनियन इनवायरमेंटल रिसर्च सेंटर की गैल एशटन के मुताबिक, हम इतने ज्यादा अंतर की उम्मीद नहीं कर रहे थे। जैव विविधता में इतना बड़ा अंतर चिंताजनक है। ये एक चेतावनी है कि गर्मी बढ़ने से क्या-क्या नकारात्मक प्रभाव दुनिया पर पड़ने वाला है।
• उन्होंने बताया कि के प्रभाव पर हुए पहले के अध्ययन एक प्रजाति पर केंद्रित थे, जबकि नवीन अध्ययन में समुचित जीवों को शामिल किया गया।
• इस तरह किया अध्ययन : इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक प्रायद्वीप के समुद्र तल पर हीट प्लेट लगाईं, जिससे स्थानीय समुद्री प्रजातियों पर गर्मी के प्रभाव को जाना जा सके।
• 15 वर्ग सेंटीमीटर की 12 हीट प्लेटों में चार ने एक डिग्री सेल्सियस, चार ने दो डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ोतरी की चेतावनी दी। वहीं, शेष चार प्लेटों को व्यापक तापमान नियंत्रित होने के कारण छोड़ दिया गया।
• ये परिणाम आए सामने : वैज्ञानिकों के मुताबिक, एक डिग्री सेल्सियस पर चार प्लेटों में ब्रीजोअन मॉस की प्रजातियां बेहद हावी हो गईं। वहीं, शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि समुद्री कीड़े रोमनचेला पेररीएरी औसतन 70 फीसद तक बढ़ा हुआ। इसके चलते कुछ प्रजातियों के जैव विविधता में कमी देखी गई। वहीं, दो डिग्री वाली प्लेटों के परिणाम स्थान परिवर्तन के साथ अलग-अलग सामने आए।
• शोधकर्ताओं के मुताबिक, अत्याधिक तापमान बढ़ने के कारण उसके ज्यादा गंभीर प्रभावों के चलते ऐसा हुआ होगा
• जारी रहेगा अध्ययन : एशटन के मुताबिक, इस विषय में विस्तृत अध्ययन फिलहाल जारी रहेगा, लेकिन जो परिणाम मिले हैं उससे काफी कुछ स्पष्ट हो गया है। हमारे पास जो डाटा एकत्र है उससे स्पष्ट है कि आने वाले समय में का समुद्री जीवन पर बेहद नकारात्मक परिणाम पड़ने वाला है।