Current Affairs 03 September 2017 in Hindi

03 September 2017

1.कालेधन पर स्विट्जरलैंड भारत के साथ : डोरिस
• स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति डोरिस लियुथार्ड ने कहा है कि उनका देश कालेधन के खिलाफ भारत की लड़ाई में सूचना के आदान प्रदान के जरिए सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है। दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों के 70 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में समारोहों की शुरुआत करते हुए बीती रात यहां स्विस दूतावास में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने यह बात कही।
• डोरिस ने कहा, भारत एक अच्छा मित्र है। इन सात दशकों में हमने एक दूसरे को सुना, सलाह दी और एक दूसरे से सीखा। यही वह आधार है, जिन पर आज संबंध कायम हैं। उन्होंने कहा, और स्विट्जरलैंड संबंधित सूचना के आदान प्रदान से कालेधन के खिलाफ लड़ाई में भारत का सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस वर्ष हम अपनी संसद में इसकी मंजूरी मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
• अपनी चार दिवसीय भारत यात्रा के दौरान स्विट्जरलैंड की राष्ट्रपति ने काले धन से मुकाबले और कई क्षेत्रों में सहयोग समेत विभिन्न मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।70 वर्ष पूरा होने के उपलक्ष्य में समारोह वर्ष 2018 तक आयोजित होंगे।
•  अपनी यात्रा के अंतिम चरण में दूतावास में उद्घाटन कार्यक्म के तहत डोरिस ने दोनों देशों के कई मैत्री दूतों को सम्मानित किया, जिनमें जाने माने अर्थशास्त्री एमएस स्वामीनाथन भी शामिल थे।
• उन्होंने दोनों देशों के कारोबारी संबंधों पर भी जोर देते हुए कहा, 250 से अधिक स्विस कंपनियां भारत में संचालित हो रही हैं जबकि 140 भारतीय कंपनियां स्विट्जरलैंड में मौजूद हैं। उन्होंने कहा, हमारा कारोबार बढ़ रहा है। रेलवे, पर्यटन, डिजाइन और फिल्म जैसे ऐसे कई क्षेत्र हैं जिन पर हम अधिक सहयोग तथा साथ काम कर सकते हैं।
• स्विट्लरलैंड की राष्ट्रपति ने कहा, इस मित्रता के लिए मैं आपका (भारत का) शुक्रिया अदा करती हूं। स्विट्जरलैंड में अवसरों एवं इसकी संस्कृति तथा दोनों देशों की 70 साल की यात्रा पर दो लघु फिल्में भी इस अवसर पर दिखाई गई।
• दूतावास के विशाल उद्यानों में  आयोजित कार्यक्रम में कई देशों से राजदूत, कारोबार, कला एवं अन्य क्षेत्रों से प्रतिनिधि शामिल हुए थे।

2. ब्रिक्स शिखर सम्मेलन आज से : मोदी समेत ब्रिक्स देशों के जुटेंगे बड़े नेता

• भारत और चीन के बीच 73 दिनों तक चले डोकलाम गतिरोध के खत्म होने के कुछ दिन बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रविवार को यहां पहुचेंगे, जहां उनके चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने की संभावना है।
• चीन के दक्षिण-पूर्वी फुजियान प्रांत के शहर शियामेन में तीन दिवसीय ब्रिक्स सम्मेलन रविवार से शुरू होगा। हालांकि, मावर तूफान के तटीय क्षेत्र में दस्तक देने की संभावना के मद्देनजर अधिकारियों ने हाई अलर्ट की घोषणा की है। डोकलाम से 28 अगस्त को नई दिल्ली और पेइचिंग के अपने-अपने सैनिकों को हटाने का फैसला करने के बाद यह सम्मेलन पहला मौका होगा, जब ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेता मिलेंगे।
• इस बात की संभावना है कि यह गतिरोध पर र्चचा के लिए मोदी और शी को आमने सामने बैठने का एक मौका देगा। यह गतिरोध 16 जून को शुरू हुआ था। दरअसल, चीनी सैनिकों ने इलाके में एक सड़क बनाने की कोशिश शुरू की, जिससे भारत को यह आशंका हुई कि इससे पूर्वोत्तर राज्यों से पेइचिंग उसका संपर्क काट सकता है।भारत और चीन ने सम्मेलन के दौरान मोदी-शी की बैठक होने से इनकार नहीं किया है।
• भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ऐसे बहुपक्षीय मौकों पर द्विपक्षीय बैठकें होना एक सामान्य व्यवहार है। वहीं, चीनी मंत्रालय ने कहा है कि यदि समय ने इजाजत दी तो वह ऐसी व्यवस्था करेगा। सम्मेलन से पहले चीन ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान के आतंकवाद रोधी रिकार्ड का मुद्दा उठाने के लिए ब्रिक्स एक उचित मंच नहीं है।
• पिछले साल भारत में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में मोदी ने पाकिस्तान को दुनियाभर के आतंकवाद की जननी कहा था और आतंकी संगठनों के खिलाफ निर्णायक वैश्विक  कार्रवाई की मांग की थी। सम्मेलन में अगले 10 साल के लिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स की भविष्य की रणनीति पर भी र्चचा होने की उम्मीद है। ब्रिक्स का गठन 2006 में हुआ था।
• ब्रिक्स राष्ट्र विश्व अर्थव्यवस्था और वैश्विक शासन में काफी मायने रखते हैं। यह पांचों देश 2016 की नियंतण्र अर्थव्यस्था में कुल 23 फीसदी योगदान देते हैं।

3. आरबीआइ ने किया आगाह, कृषि कर्ज माफी से बचें राज्य
• राज्यों के चुनावी माहौल में कृषि कर्ज माफी का मुद्दा हावी होने लगा है। भारतीय रिजर्व बैंक ने एक बार फिर देश के राजनीतिक दलों को परोक्ष तौर पर आगाह किया है कि उन्हें कृषि कर्ज माफी से पूरी तरह से परहेज करना चाहिए। केंद्रीय बैंक स्पष्ट तौर पर मानता है कि कृषि कर्ज माफी से न तो किसानों का भला होता है और न ही बैंकों का।
• उल्टा यह देश की अर्थव्यवस्था में कई तरह के रोड़े डाल देता है। हाल के दिनों में यह दूसरा अवसर है जब रिजर्व बैंक ने किसानों के लिए कर्ज माफी की घोषणाओं को लेकर राज्य सरकारों को आगाह किया है। अपनी सालाना रिपोर्ट में आरबीआइ ने वर्ष 2008 की कृषि कर्ज माफी की सफलता को लेकर भी सवाल उठा दिए हैं। इसमें कहा गया है कि इसका फायदा सिर्फ उन राज्यों में हुआ जहां भूमि सुधार लागू हुए थे।
• यही नहीं इसकी वजह से बाद में बैंक कृषि क्षेत्र को कर्ज देने से आनाकानी करने लगते हैं। इसका असर यह होता है कि किसान एक बार फिर सूदखोरों से कर्ज लेना शुरू कर देते हैं और कर्ज के दुष्चक्र में ज्यादा मजबूती से फंस जाते हैं।
• इस तरह से कर्ज माफी अंतत: कृषि क्षेत्र में संगठित क्षेत्र से कर्ज के प्रवाह को प्रभावित करता है। इसके अलावा इसका राज्य व देश की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर तो होता ही है। राज्यों के उधारी लेने की क्षमता प्रभावित होती है जिससे सारे विकास कार्यो पर असर पड़ता है।
•  इस चेतावनी के दो दिनों बाद ही कृषि कर्ज माफी पर एक सेमिनार में गवर्नर उर्जित पटेल ने आरबीआइ के रुख को और खुले तौर पर स्पष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि अगर कृषि ऋण माफी राज्यों के बजट से भी होती है तब भी इसके विपरीत असर को कम नहीं किया जा सकता क्योंकि सरकार को दूसरे खर्चे में कटौती करके इसे करना पड़ता है।
• इसका कोल्ड स्टोरेज, सिंचाई परियोजनाओं पर होने वाले खर्च पर असर पड़ सकता है। राज्यों व केंद्र के बजट पर असर पड़ने से महंगाई बढ़ सकती है। आरबीआइ गवर्नर ने यह भी माना कि यह आय कर का भुगतान करने वाले लोगों के साथ भी न्याय नहीं है। अब जबकि उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, महाराष्ट्र में कृषि कर्ज माफी की घोषणा हो चुकी है और देश के दूसरे कई राज्यों में इसकी मांग जारी है तो केंद्रीय बैंक का नया रुख महत्वपूर्ण हो जाता है। उत्तर प्रदेश सरकार ने 36 हजार करोड़ रुपये के कृषि कर्ज माफ किये हैं तो कर्नाटक सरकार ने भी 8100 करोड़ रुपये की कर्ज माफी की घोषणा की है।
• आर्थिक विशेषज्ञ भी इससे सहमति जताते रहे हैं कि कर्ज माफी के पैकेज न तो किसानों का भला करते हैं और न ही अर्थव्यवस्था का। कर्ज माफी जैसे कदम कुल मिलाकर उन लोगों को ही नुकसान पहुंचाते हैं जिनके लिए इस तरह के फैसले लिए जाते हैं।

4. रोहिंग्या  शरणार्थियों का पेंच फंसेगा मोदी की यात्रा में
• ऐसे समय जब देश में रो¨हग्या मुसलमान शरणार्थियों का मामला राजनीतिक रूप ले चुका है और इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई भी हो रही है तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की म्यांमार यात्रा  भारतीय कूटनीति के लिए काफी चुनौतीपूर्ण हो गई है।
• विदेश मंत्रलय के अधिकारी मानते हैं कि म्यांमार का रणनीतिक महत्व हाल के वर्षो में काफी बढ़ गया है इसलिए रोहिंग्या  मामले पर काफी सोच-समझ कर कदम बढ़ाने होंगे। वैसे भारत इस पूरे मामले का स्थायी समाधान चाहता है और यही वजह है कि मोदी की तरफ से इस बारे में पड़ोसी देश को अलग से मदद करने की पेशकश की जा सकती है।
• विदेश मंत्रलय के अधिकारियों के मुताबिक म्यांमार में बार-बार रो¨हग्या मुसलमानों के साथ जो मुद्दे उठ रहे हैं उससे भारत का हित जुड़ा हुआ है। इसलिए वह इस मुद्दे को सिर्फ शरणार्थियों तक जोड़ कर नहीं देख सकता है।
• जब भी म्यांमार में सांप्रदायिक ¨हसा होती है तो बड़ी संख्या में भारत में शरणार्थियों की फौज चली आती है। यह स्थिति हमेशा के लिए जारी नहीं रखी जा सकती। ऐसे में यह हमारे हित में है कि मौजूदा हालात का स्थाई समाधान खोजा जाए।
• भारत में रह रहे रोहिंग्या  शरणार्थियों को वहां भेजना तभी संभव होगा जब म्यांमार में शांति हो। वैसे इस हालात का समाधान म्यांमार की सरकार को खोजना है लेकिन भारत इसमें जो भी संभव है वह मदद करने का प्रस्ताव करेगा।
• सुरक्षा एजेंसियों ने पहले भी इस बात की सूचना दी है कि भारत के कई हिस्सों में रह रहे रो¨हग्या शरणार्थियों के बीच कट्टरपंथी तत्व पैठ कर रहे हैं। जम्मू व कश्मीर के इलाके में हजारों की संख्या में ये रह रहे हैं। भारत में पिछले कुछ वर्षो में धीरे-धीरे 60 हजार रोहिंग्या  आ चुके हैं। सरकार ने आधिकारिक तौर पर कहा है कि वह हर एक शरणार्थी को वापस भेजना चाहती है।

5. जस्टर होंगे भारत में अमेरिका के नए राजदूत

• भारत में जल्द ही नए अमेरिकी राजदूत की कर दी जाएगी। व्हाइट हाउस की ओर से बताया गया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारत के नए राजदूत के रूप में केनेथ जस्टर को नामांकित करेंगे। 1सीनेट से मंजूरी मिलने के बाद उनकी को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
• रिचर्ड वर्मा के गत 20 जनवरी को इस्तीफा देने के बाद से ही भारत में अमेरिकी राजदूत का पद रिक्त है। भारत मामलों के विशेषज्ञ जस्टर फिलहाल राष्ट्रपति ट्रंप की राष्ट्रीय आर्थिक परिषद के उपनिदेशक हैं। साथ ही आर्थिक मामलों पर ट्रंप को सलाह देनेवाली संस्था इंटरनेशनल इकोनोमिक अफेयर में उपसहायक के तौर पर कार्यरत हैं।
• जस्टर 2001 से 2005 तक अमेरिका के उप वाणिज्य मंत्री भी रह चुके हैं। 1इस अवधि में उन्होंने भारत और अमेरिका के संबंधों को नई ऊंचाई दी थी। इसी समय दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु करार हुआ था। इसके अतिरिक्त जस्टर 1992-93 तक विदेश मंत्रालय  में सलाहकार और 1989-92 तक उपविदेश मंत्री के परामर्शदाता के तौर पर रहे।
• हार्वर्ड लॉ स्कूल से कानून की डिग्री लेने वाले जस्टर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वेदरहेड सेंटर फॉर इंटरनेशनल अफेयर्स के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

6. संयुक्त राष्ट्र में सुधार के एजेंडे को आगे बढ़ाएंगे ट्रंप
• अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में सुधारों के मद्देनजर इस महीने दुनियाभर के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। ट्रंप ने इससे पहले यूएन को अच्छा समय बिताने के लिए लोगों का ‘क्लब’ करार दिया था।
• साथ ही यह कहा था कि फिलहाल यूएन का काम अपेक्षाकृत कमजोर है, लेकिन इसके पास दुनिया के संकटों से निपटने की अद्भुत क्षमता है। संयुक्त राष्ट्र की बैठक में पहली बार शामिल होने जा रहे ट्रंप छह दिवसीय बहस के पहले दिन 19 सितंबर को जनरल एसेंबली को संबोधित करेंगे।
• उनके संबोधन में ‘अमेरिका फर्स्ट ’ नीति की झलक मिल सकती है। मालूम हो कि ट्रंप प्रशासन ने यूएन को दी जा रही अरबों रुपये की वित्तीय सहायता कम करने की धमकी दे रखी है। संयुक्त राष्ट्र के खर्च का 28.5 प्रतिशत अकेले अमेरिका वहन करता है।
• वहीं शांति अभियानों के लिए दी जाने वाली राशि में भी लगभग 38 अरब की कटौती कर दी है। यूएन के सुधार संबंधी एजेंडे को भारत, चीन, जापान, थाईलैंड कुल 14 देशों का समर्थन है।

7. एसएएपीई की रिपोर्ट-दक्षिण एशियाई देश गरीबी उन्मूलन में रहे असफल

• दक्षिण एशियाई देश गरीबी उन्मूलन में असफल रहे हैं। यह रहस्योद्घाटन दक्षिण एशियाई देशों में गरीबी के परिदृश्य की त्रैवार्षिक रिपोर्ट में हुआ है। यहां रिपोर्ट साउथ एशिया एलायंस फॉर पावर्टी इरेडिकेशन (एसएएपीई) ने तैयार की है।
• इंस्टीट्यूट फॉर डेवलपमेंट कम्यूनिकेशन (आइडीसी) सेक्टर-38ए में त्रैवार्षिक रिपोर्ट ‘डायलॉग ऑन गवर्नेंस फॉर द मार्जिन्स विद रेफरेंस टू साउथ एशिया’ सेमिनार में जारी की गई। इसमें चंडीगढ़ के डायलॉग हाईवे ने भी सहयोग किया है।
• सरकारें लोगों को भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य व सुरक्षा देने में नाकाम : सेमिनार में प्रसिद्ध समाज शास्त्री प्रो. शिव विश्वनाथन ने कहा कि हमें ये सवाल उठाना चाहिए कि क्या भारतीय संविधान विविध जनता की आकांक्षाओं, उनके स्वभाव से निपटने में सक्षम है।
• इसके बाद डायलॉग हाईवे के प्रबंध न्यासी देविंदर शर्मा ने कहा, एसएएपीई की रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण एशियाई देश गरीबी उन्मूलन में असफल रहे हैं और सरकारें हाशिए पर रहे लोगों को भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा जैसी आधारभूत सुविधाएं देने में नाकाम रही हैं।
• एसएएपीई नेपाल की क्षेत्रीय समन्वयक प्रो. नेतरा तिमसीना ने कहा कि दक्षिण एशिया में दुनिया की 22 फीसद आबादी बसती है, लेकिन इसकी आय दुनिया की महज 1.3 प्रतिशत है। इस दौरान पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के कुलपति प्रो. बीएस घुम्मन ने कहा कि इस रिपोर्ट को नीति नियोजन का हिस्सा बनाया जाना चाहिए। आइडीसी के निदेशक प्रमोद कुमार ने कहा कि बाजार ने सरकारों को दबा दिया है और हाशिये पर रह रहे लोगों की आवाज छीन ली है।

8. भारत में डेंगू फैलने का अनुमान लगा सकती है नई प्रणाली
• वैज्ञानिकों ने एक ऐसी पण्राली विकसित की है जो भारत के विभिन्न हिस्सों में डेंगू के प्रसार का अनुमान लगा सकती है। यह जलवायु कारकों पर आधारित होगी। इससे डेंगू के खिलाफ एहतियाती उपाय करने में मदद मिलेगी।
• ब्रिटेन में ‘‘लिवरपूल विविद्यालय’ के शोधार्थियों ने देश के पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और केरल राज्यों में विभिन्न जलवायु क्षेत्रों में डेंगू के प्रसार के जलवायु जोखिम की पहचान की है। इस टीम ने हैदराबाद स्थित ‘‘भारतीय रसायन प्रौद्योगिक संस्थान’ और गुवाहाटी स्थित ‘‘राष्ट्रीय औषधि शिक्षा एवं शोध संस्थान’ के सहयोग से अध्ययन किया है।
•  इसके तहत इन इलाकों के रोजाना और मासिक तापमान पर गौर किया गया।इसमें पाया गया कि कम तापमान (17 से 18 डिग्री सेल्सियस) में विषाणु का संक्रमण कम हो गया। वहीं, तापमान बढ़ने के साथ-साथ मच्छरों का मेटाबोलिज्म बढ़ा और उन्हें अधिक आहार की जरूरत पड़ी।
• शोधार्थियों ने पाया कि गुजरात को छोड़ कर अन्य राज्यों में बारिश और डेंगू रोग में एक संबंध है। दरअसल, गुजरात में नम क्षेत्र भी हैं।